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क्या फिर से नीतीश कुमार और बीजेपी की राहें हो जाएंगी जुदा-जुदा..? संबंधों मे दरार.. तलाक के आसार

(शशि कोन्हेर) : क्या नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी के बीच रिश्ते अब तक टूटने वाले हैं… अथवा क्या नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा को छोड़कर लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल से रिश्ते बनाकर सरकार चलाएंगे..? ये और इस तरह के ही बहुत से ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब संभवतः आज या फिर दो-चार दिनों में सबके सामने आ जाएगा।

नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष लल्लन सिंह ने एक दिन पहले ही अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी का नाम लिए बगैर उस पर जिस तरह से ताबड़तोड़ हमले किए.. वह इसी बात पर इशारा कर रहे हैं कि अब इनके बीच तलाक कभी भी हो सकता है। वैसे तो बीजेपी और नीतीश कुमार के बीच संबंधों की मिठास बीते कुछ महीने से कमजोर होती जा रही थी। लेकिन हाल ही में आरसीपीसी को लेकर बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते टूटने की नौबत दिखाई दे रही है।

नीतीश कुमार बिहार विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा बार-बार सरकार की आलोचना से आजिज आ चुके हैं। नीति आयोग की बैठक में नीतीश कुमार का दिल्ली न पहुंचना भी इस बात का संकेत है कि वह अब कभी भी भारतीय जनता पार्टी को पीठ दिखा सकते हैं। नीति आयोग की बैठक के अलावा द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद और निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदाई भोज से भी नीतीश कुमार ने दूरी बनाए रखी है।

बिहार विधानसभा में संख्या का गणित साफ बता रहा है कि अगर नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल का दामन पकड़ लेते हैं तो विधायकों का बहुमत उन्हें आसानी से मिल जाएगा।

इसी संदर्भ में आज से बिहार में विभिन्न पार्टियों के विधान मंडल की औचक बैठकों मैं होने वाली चर्चाओं और निष्कर्षों से भी इस बात का साफ इशारा मिल जाएगा कि आने वाले दिनों में नीतीश कुमार भाजपा के साथ रहते हैं या फिर तेजस्वी यादव से गलबहियां मिलाकर अपनी नई सरकार खड़ी करते हैं।

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