बिलासपुर : आज 20 मार्च है और इस दिवस को विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रकृति की सुंदरतम रचनाओं में से एक, घर-आंगन को अपनी चंचल अदाओं से खुशगवार बनाने वाली नन्ही गौरैया की घटती आबादी को रोकने और उसके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक और संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से हर वर्ष ‘विश्व गौरैया दिवस’ मनाया जाता है । आइये जानते हैं विश्व गौरैया दिवस के उद्देश्य और महत्व के बारे में..
*विश्व गौरैया दिवस की थीम*
हर साल विश्व गौरैया दिवस के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है। वर्ष 2023 में विश्व गौरैया दिवस की थीम ‘I love Sparrows’ निर्धारित की गई है। विश्व गौरैया दिवस की थीम 2010 से निर्धारित है और अभी तक थीम को कभी बदला नहीं गया है।
*विश्व गौरैया दिवस मनाने का उद्देश्य*
विश्व गौरैया दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को गौरैया के संरक्षण के प्रति जागरूक करना और कैसे गौरैया को संरक्षित किया जाए इस पर विचार करना है। गौरैया की संख्या में बहुत तेजी से कमी आ रही है। पूरे यूरोप में सामान्य रूप से दिखाई पड़ने वाली इन चिड़ियों की संख्या लगातार घट रही है। स्थिति इतनी गंभीर है कि नीदरलैंड ने इन्हें रेड लिस्ट में रखा है। और वहीं ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चेक गणराज्य, बेल्जियम, इटली तथा फिनलैंड के शहरी इलाकों में दर्ज की गई है। वर्तमान में गौरैया की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है। ऐसे में जरूरी है कि नन्ही चिड़ियों को इस धरा पर चहकने के लिए संरक्षित एवं आदर्श वातावरण देने का संकल्प हम सभी को लेना होगा।
*जानें कैसे हुई शुरुआत ?*
वर्ष 2010 में पहली बार विश्व गौरैया दिवस मनाया गया था। इस दिवस को मनाने की शुरुआत ‘The Nature Forever Society of India’ के संस्थापक मोहम्मद दिलावर ने की थी, जो कि एक पर्यावरण विज्ञानी हैं। मोहम्मद दिलावर ने नासिक में घरेलू गौरैया की मदद कर अपना काम शुरू किया था। उनके इस काम के लिए टाइम मैगज़ीन ने ‘Heroes of the Environment 2008’ पुरस्कार से नवाजा गया। इसके अलावा लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स और गिनीज़ बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में भी उनका नाम दर्ज किया गया।
*कैसे बचाएं गौरैया को ?*
गौरैया को बचाना दरअसल पर्यावरण को बचाना है। जिस तेजी के साथ गौरैया विलुप्त हो रही है ऐसे में जरूरी है कि गौरैया संरक्षण को लेकर किए जा रहे प्रयास और तेजी से किए जाएं, इसलिए जरूरी है कि गौरैया को वापस बुलाने के लिए घर की छत पर दाना और पानी रखें, घर के आस-पास पेड़-पौधे लगाएं। साथ ही कृषि में कीटनाशकों का उपयोग कम किया जाए और जगह-जगह बर्ड हाउस स्थापित किए जाएं।
*पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए जरूरी*
गौरैया पक्षी पारिस्थितिक तंत्र के एक हिस्से के रूप में हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है। गौरैया अल्फा और कटवर्म नामक कीड़े खाती है, जो फसलों के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। गौरैया पक्षी पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के साथ-साथ यह किसान की भी मित्र है। यह एक ऐसा पक्षी है, जो मनुष्य यानी मानव आबादी के साथ ही रहना पसंद करती है।
*गौरैया संरक्षण के लिए देशभर में किए जा रहे प्रयास*
गौरैया विलुप्त होने की कगार पर है और इसके विलुप्त होने का सबसे बड़े कारण बढ़ता प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और लुप्त हो रहे पारिस्थितिक संसाधन हैं। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। इस दिशा में केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले ‘Save Sparrow App’ लॉन्च किया गया था। वहीं एनएफएस द्वारा गुजरात के अहमदाबाद में ‘गौरैया पुरस्कार’ की घोषणा की गई थी।
प्रेषक – कमल दुबे